Wednesday, October 16, 2013

मेरी दादी और उनकी कहानियों जैसी बातें... :)

आज कई दिनों बाद मेरी दादी घर आई तो ढेर साड़ी बातें की उनसे .... बातों बातों में पता लगा के बहोत पहले जब हमारे घर किसी लड़के का जन्म होता था तो हमारे यहाँ कुल देवता को बकरे की बलि दी जाती थी...  फिर जब मेरे डैडी [पापा] का जन्म हुआ तो घर के सभी लोगो ने इस प्रथा को खत्म करने की बात कही ... पर मेरे परदादा बोले के खून तो चढ़ाना ही पड़ेगा.... फिर चाहे बकरे को बिना मारे ही क्यूँ न चढ़ाना पड़े ... वो बकरे को लेके आये और उसका कान काट के उसका खून हमारे कुल देवता को चढ़ा दिया ... मुझे इस बात पे बहोत हंसी आई की ऐसा भी हुआ करता था कभी हमारे घर .... फिर मेरी दादी बोली वो आखरी बार था, उसके बाद फिर कभी कोई खून नहीं चढ़ाया गया कुल देवता को .... उसके बाद से जब भी लड़के का जन्म होता तो पांच ब्राह्मण को खाना खिलाया जाता है ... पांच ब्राह्मण = एक बकरा :D

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